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भारतीय नववर्ष

भारतीय ज्योतिष शास्त्र एवं कालगणना के अनुसार, भारतीयों का नव वर्ष ‘वर्ष प्रतिपदा’ से आरंभ होता है। यही हमारा (राष्ट्रीय) नववर्ष भी है। ‘वर्ष प्रतिपदा’ अर्थात् नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र-शुक्ल प्रतिपदा से होता है। चैत्र-शुक्ल प्रतिपदा को ही मानव सृष्टि का आरंभ हुआ था, इसीलिए इसे सृष्टि संवत् या ब्रह्मï संवत् भी कहते हैं। ज्योतिष विद्या के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘हिमाद्रि’ से इसकी पुष्टि होती है|

‘चैत्रमासि जगद् ब्रह्मï  ससजेप्रथमोऽहनि। 

शुक्ल पक्षे समग्रन्तु सदा सूर्योदये गति। ’

अर्थात् चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम दिवस सूर्योदय काल में सृष्टिकत्र्ता ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की। इस संदर्भ में भास्कराचार्य अपने प्रसिद्ध ग्रंथ ‘सिद्धांत शिरोमणि’ में लिखते हैं कि चैत्र मास को शुक्ल पक्ष के प्रारंभ में रविवार के दिन से मास, वर्ष व युग एक साथ प्रारंभ हुए, इसीलिए भारत में प्रचलित सभी संवत् चैत्र-शुक्ल प्रतिपदा से ही आरंभ हुए। इनमें सम्राट् विक्रमादित्य का ‘विक्रमी संवत्’ सर्वाधिक लोकप्रिय और प्रचलित हुआ। विक्रमी संवत् सूर्य सिद्धांत पर आधारित है। यदि सृष्टि संवत् के आरंभ से आज तक की गणना की जाए तो सूर्य सिद्धांत के अनुसार एक दिन का भी अंतर नहीं पड़ता। अत: विक्रम संवत् शुद्ध वैज्ञानिक सत्य पर टिका हुआ है।

गतिविधियां

नववर्ष की सूचना जन-जन को देने दौड़े प्रचार रथ के पहिये

-भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति व स्वदेशी जागरण मंच ने ध्वजा दिखाकर किया रवाना-28 से 30 मार्च तक होने जा रहे आयोजनों की तैयारियां जोरों पर-पोस्टर-बैनर …

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उदयपुर में ऐतिहासिक युवा वाहन रैली की तैयारियाँ पूरी, 11000 वाहनों के साथ जुटेगा हिंदू समाज

उदयपुर, 20 मार्च। भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति के तत्वावधान में आयोजित विशाल भगवा युवा वाहन रैली को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियाँ अंतिम चरण में पहुँच …

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सामाजिक समरसता के संवर्द्धन का पर्व है नववर्ष उत्सव, हर समाज की हो सहभागिता

-भारतीय नववर्ष समाजोत्सव समिति ने किया आह्वान-तीन दिवसीय नववर्ष उत्सव घर-घर में उल्लास से मनाने का आग्रह-वाहन रैली को ऐतिहासिक बनाने का लक्ष्य-कलश यात्रा के …

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अंतरराष्ट्रीय शिव कथा वाचक प. प्रदीप मिश्रा करेंगे नववर्ष धर्मसभा को संबोधित

भारतीय नववर्ष पर भव्य शोभायात्रा की तैयारी, सन्त सम्मेलन में मिला पूज्य संतों का आशीर्वाद पोस्टर का विमोचन उदयपुर, 28 फरवरी। प्रतिवर्ष की भांति इस …

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9 अप्रैल को भारतीय नववर्ष, तैयारियां प्रारंभ

संत समागम बैठक एवं पोस्टर विमोचन बुधवार को प्रो. बी.पी. शर्मा अध्यक्ष एवं रविकांत त्रिपाठी संयोजक मनोनीत उदयपुर, 27 फरवरी। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष …

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फोटो गैलरी

भारतीय उत्सव

पर्व प्रवाही काल का साक्षात्कार है। इंसान द्वारा ऋतु को बदलते देखना, उसकी रंगत पहचानना, उस रंगत का असर अपने भीतर अनुभव करना पर्व का लक्ष्य है। हमारे पर्व-त्यौहार हमारी संवेदनाओं और परंपराओं का जीवंत रूप हैं, जिन्हें मनाना या यूं कहें कि बार-बार मनाना, हर साल मनाना, हर भारतीय को अच्छा लगता है। पूरी दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है, जहां मौसम के बदलाव की सूचना भी त्यौहारों से मिलती है। इन मान्यताओं, परंपराओं और विचारों में हमारी सभ्यता और संस्कृति के अनगिनत सरोकार छुपे हैं। जीवन के अनोखे रंग समेटे हमारे जीवन में रंग भरने वाली हमारी उत्सवधर्मिता की सोच मन में उमंग और उत्साह के नए प्रवाह को जन्म देती है।

उत्सव शब्द सवन से उत्पन्न है। सोम या रस निकालना ही सवन है। वह रस जब ऊपर छलक आए तो उत्सवन या उत्सव है। भारतीय संस्कृति में त्यौहारों और उत्सवों का आदि काल से ही काफी महत्व रहा है।

हमारी संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर मनाए जानेवाले सभी त्यौहार समाज में मानवीय गुणों को स्थापित करके लोगों में प्रेम और एकता को बढ़ाते हैं। त्यौहारों और उत्सवों का संबंध किसी जाति, धर्म, भाषा या क्षेत्र से न होकर समभाव से है। सभी त्यौहारों के पीछे की भावना मानवीय गरिमा को समृद्धि प्रदान करना है। यही कारण है कि त्यौहार-उत्सव सभी धर्मों के लोग आदर के साथ मिलजुल कर मनाते हैं।

नव वर्ष के विशेष महत्व

  • सृष्टि की रचना का प्रारंभ दिवस
  • चैत्र नवरात्रि का आरम्भ
  • भगवन विष्णु का दशावतार में से प्रथम मतस्य अवतार
  • प्रभु श्री राम का राज्याभिषेक
  • धर्मराज युधिष्ठिïर का राज्याभिषेक
  • विक्रम सम्वंत का शुभारम्भ  दिवस
  • सिक्खों के द्वितीय गुरु श्रीअंगद देव जी का जन्म दिवस
  • महर्षि गौतम जन्म दिवस
  • वरुणावतार झूलेलाल का जन्म दिवस
  • आर्य समाज स्थापना दिवस
  • संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जन्म दिवस

भारतीय नववर्ष कैसे मनाएँ :

  •  हम परस्पर एक दुसरे को नव वर्ष की शुभकामनाएँ दें। पत्रक बांटें , झंडे, बैनर आदि लगावे
  •  आपने परिचित मित्रों, रिश्तेदारों को नववर्ष के शुभ संदेश भेजें।
  •  इस मांगलिक अवसर पर अपने-अपने घरों पर भगवा पताका फेहराएँ।
  •  आपने घरों के द्वार पर आशापालव / आम के पत्तों की वंदनवार से सजाएँ।
  •  घरों एवं धार्मिक स्थलों की सफाई कर रंगोली तथा फूलों से सजाएँ।
  •  इस अवसर पर होने वाले धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लें अथवा कार्यक्रमों का आयोजन करें।
  •  प्रतिष्ठानों की सज्जा एवं प्रतियोगिता करें। झंडी और फरियों से सज्जा करें।
  •  इस दिन के महत्वपूर्ण देवताओं, महापुरुषों से सम्बंधित प्रश्न मंच के आयोजन करें।
  •  वाहन रैली, कलश यात्रा, विशाल शोभा यात्राएं, भजन संध्या , महाआरती आदि का आयोजन करें।
  •  चिकित्सालय, गौशाला में सेवा, रक्तदान जैसे कार्यक्रम।